दिल्ली- देहरादून हाइवे के इस मार्ग पर डाक कांवड़ पर रोक, कठिन नियमों के साथ बिना रुके कैसे पहुँचते है व्रती, मल मूत्र त्यागना भी वर्जित

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कांवड़ यात्रा चल रही है और भोले बाबा के भक्त गंगा मैया से जल लेने के लिए निकल पड़े हैं. पुलिस के लिए डाक कावड़ सबसे बड़ी चुनौती रहती है क्योंकि इससे जाम की स्थिति बन जाती है. दिल्ली-देहरादून हाइवे के यूपी-यूके बॉर्डर पर अमंतगढ़ में डाक कांवड़ वाहनों पर रोक लगा दी गई है अब आपको बड़कला भगवानपुर से हरिद्वार भेजा जाएगा. राजस्थान, पंजाब और हरियाणा से आने वाली डाक कांवड़ के लिए दोनों राज्यों की सीमा पर चेक पोस्ट बनाया गया है. इन राज्यों से आने वाले डाक कांवड़ वाहनों भगवानपुर रूट से हरिद्वार के लिए डायवर्ट किया गया है.

क्या होती है डाक कांवड़?

डाक कांवड़ क्या होती है यह आप लोगो के दिमाग मे आता होगा. सामान्य कावड़ यात्रा के दौरान भक्त विश्राम करके चलते हैं जबकि इस तरह की कांवड़ यात्रा में एक बार कांवड़ उठाई जाती है तो इसके बाद कांवड़िये को जलाभिषेक तक लगातार चलना पड़ता है. इसके अलावा कांवड़िये को एक निश्चित अवधि में निश्चित शिवालय में ही जलाभिषेक करना होता है. इसका बेहद कठिन नियम है क्योंकि यात्रा के दौरान व्रती को उत्सर्जन क्रियाएं (मूत्र, मल विसर्जन) करने की मनाही भी होती हैं. डाक कांवड़ में भोलेनाथ के भक्त जब हरिद्वार-नीलकंठ से कांवड़ लेकर आते हैं तो एक-दूसरे का सहयोग करते हुए रास्ते में कांवड़ की अदला-बदली भी करते रहते हैं. इसलिए यह जल्दबाजी में भागते दौड़ते होती है.

एक बार कांवड़ उठा लेने के बाद कांवड़िये को जलाभिषेक तक लगातार चलना पड़ता है. इसके अतिरिक्त कांवड़िये को एक निश्चित अवधि में निश्चित शिवालय में ही जलाभिषेक करना होता है. यात्रा के दौरान व्रती के लिए उत्सर्जन क्रियाएं (मूत्र, मल विसर्जन) तक वर्जित होती हैं.

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