देहरादून/प्रीति मौर्य: सावन का महीना हिन्दू धर्म में बेहद पवित्र और आध्यात्मिक माना जाता है। ज़्यादातर सुहागन महिलाएं इस महीने व्रत रखती हैं और भगवान शिव की विशेष पूजा करती हैं। इसके पीछे धार्मिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक कई गहरे कारण होते हैं सुहागन महिलाएं सावन में व्रत रखती हैं ताकि उनके पति की उम्र लंबी हो और जीवन में सुख-शांति बनी रहे। माना जाता है कि शिव जी “कल्याणकारी” हैं और उनकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है। सावन को भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन और विवाह का महीना माना जाता है। माता पार्वती ने कठोर तपस्या कर सावन में ही शिव जी को पति रूप में प्राप्त किया था। इसलिए महिलाएं पार्वती की तरह भक्ति और समर्पण भाव से व्रत करती हैं। सावन में उपवास रखने से शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है। यह समय साधना, ध्यान और प्रभु के स्मरण का होता है, जिससे आत्मिक बल और संयम की भावना बढ़ती है। इस माह में सोमवार व्रत, मंगला गौरी व्रत, हरियाली तीज, नाग पंचमी, आदि पर्व विशेष रूप से मनाए जाते हैं। सुहागन महिलाएं इन अवसरों पर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं और सुहाग सामग्री अर्पित करती हैं। सावन हरियाली का महीना है। यह समय नई फसलों और बरसात का होता है। इस समय बाजारों में जगह-जगह सावन के समान देखने को मिल रहे हैं, सुहागन महिलाएं हरि चूड़ियां और कपड़े सुहागन लेती है। महिलाएं और कवारी लड़कियां मेंहदी लगवाती हैं। यह व्रत कवारी लड़कियां अच्छा जीवन साथी पाने के लिए रखती हैं। महिलाएं पेड़ों की पूजा, झूला झूलना और लोकगीत गाने जैसे परंपराओं से भी जुड़ी रहती हैं, जो प्रकृति से उनका जुड़ाव दिखाता है। सावन का व्रत केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि यह आस्था, प्रेम, समर्पण और परिवार के कल्याण की भावना से जुड़ा हुआ एक पवित्र व्रत है, जिसे सुहागन महिलाएं पूरी श्रद्धा से निभाती हैं।