उत्तराखंड में वैसे तो बहुत सी प्रेम गाथाएं है उनमें से एक है नरू-बिजुला की प्रेम कहानी। यह कहानी कुछ 5-6 सौ साल पुरानी है। यह कहानी उत्तराखंड के उत्तरकाशी के एक गांव जिला तिलोथ की है। वहां दो भाई रहते थे जो हट्टे-कट्टे और साहसी वीर-योद्धा थे उनका नाम था नरू और बिजुला। उस समय एक महिला के एक से अधिक पति हुआ करते थे जिसे बहुप्रथा कहते है। उस समय लड़की से शादी करने के लिए लड़कों को दहेज देना पड़ता था।नरू-बिजुला अपने लिएबेक लड़की ढूंढ रहे थे। वे दोनों गंगा घाटी के वीर थे फिर भी उन्हें बिना पैसों के कोई अपनी लड़की की शादी उन दोनों से नहीं करना चाहता था। माघ महीने में लगे बाड़ाहाटा मेले में एक दिन नरू और बिजुला जाते हैं और वहां दोनों एक सुंदर लड़की को अपना दिल दे बैठते है। दोनों भाई उस लड़की की सुंदरता को देखकर मोहित हो गए और उसे दिल से चाहने लगे। तभी दोनों भाई एक साथ बोलते है, ‘क्या खूबसूरत लड़की है, अब मैं इसी से शादी करूंगा’। दोनों भाई एक दूसरे की तरफ देखकर प्रतिज्ञा करते है कि अब वो खुबसूरत लड़की ही हमें अपनी दुल्हन बनानी है। वो लड़की यमुना के उस पार रवांई क्षेत्र के डख्याट के पास स्थित खरसाली गांव की रहने वाली थी। उस समय गंगा घाटी ओर यमुना घाटी के लोगों के बीच जंग चल रही थी। उनके बीच कोई भी लेन-देन और रिश्तेदारी नहीं हुआ करती थीं। नरू और बिजुला ये सब जानते हुए भी उस सुंदर लड़की के पास जाकर बोलते है कि हम दोनों तुम्हे अपनी दुल्हन बनाना चाहते है और तुम्हें खुश रखेंगे जैसा तुम बोलोगी हम वैसा करेंगे। वह लड़की यह देखती है कि दो सुंदर जवान लड़के उसके सामने शादी का प्रस्ताव रख रहे है यह देखकर लड़की मन ही मन खुश हो जाती है।यह सब देख उसका भी दिल उन दोनों लड़कों पर आ जाता है और अब दोनों तरफ से प्यार शुरू हो जाता है, लेकिन मुश्किल अभी खत्म नहीं हुई थी। उस लड़की का पहले से ही कही रिश्ता पक्का हो गया था और उसके पिता ने उस लड़के से शादी के पहले ही कुछ पैसे ले लिए थे। लड़की को वह लड़का बिल्कुल भी पसंद नहीं था क्योंकि उस लड़के की उम्र लड़की से बहुत ज्यादा थीं। लड़की नरू और बिजुला से कहती है अगर आपको मुझसे शादी करनी है तो आपको मेरा अपहरण करना होगा तभी दोनों भाई बोलते है तुम अभी हमारे साथ चल सकती हो। लड़की मना कर देती है और बोलती है आप दोनों वीर हो,आपको मेरा अपहरण मेरे गांव से करना होगा मैं आपका इंतजार करूंगी। यह कहकर वो लड़की अपने गांव की सहेलियों के साथ चली जाती है। वह लडकी जानती थी कि यह क्षेत्र उनके गांव के पास में है और अगर अभी वो नरू और बिजुला के साथ चली जाती तो उसके क्षेत्र के लोग उन दोनों भाइयों को मार देंगे। वह उनके प्यार को आजमाना चाहती थी वो ये देखना चाहती थी कि जिनको उसने अपना दिल दिया है वो कितने वीर है और उनका प्यार सच्चा है या सिर्फ दिखावा। नरू और बिजुला तो लड़की के प्यार में पागल हो चुके थे। दोनों भाइयों ने बिना किसी की परवाह किए बिना डख्याट गांव पहुंच गए जहां वह लडकी उनका इंतजार कर रही थी। दोनों भाइयों ने उसे अनाज रखने वाले एक बक्से में छिपा दिया और अपने गांव तिलोथ ये आए। उधर रवांई में ये बात पता चलते ही वहां के लोग बदले के लिए तैयार हो गए। यह उनके लिए इज्जत की बात थी, कि गंगा घाटी के दो भाई उनके क्षेत्र की लड़की का अपहरण करके ले गए। वो सब अपनी एकता को दिखाते हुए एक साथ इकट्ठे हो गए। जब 12 गांव के लोग एक जगह इकट्ठे हुए तो उन्होंने कहा कि नरू और बिजुला की हमारे गांव के बेटी की तरफ देखने की हिम्मत कैसे हुई? अब हम उन दोनों की लाश को साथ लेकर ही अपने गांव वापस आयेंगे। उन सबने गंगा घाट पर जाकर अपने हथियारों को तेज किय और ढोल ताशो के साथ रवांई के वीर आगे बढ़ने लगे। वें सब अपने हाथों में फर्शा और तलवारें लेकर युद्ध की घोषणा कर रहे थे। वें सब ज्ञानसु गांव तक पहुंचे ही थे तब तक रात हो गई थी। नरू और बिजुला को तब तक पता लग गया कि रवांई ले लोग उन्हें मरने आ रहे है और उस लड़की को वापस ले जाने आ रहे है। नरू और बिजुला ने भी बिना देर किए युद्ध की तैयारी शुरू कर दी। उन दोनों ने अपनी मां, पत्नी और गांव के लोगों को डुंडा में उदालका गांव भेज दिया। उनके साथ खाने पीने का सामान भी भेज दिया था ताकि उनके कोई तकलीफ न हो और वो दोनों रवांई के 12 गांवों की सेना से लड़ने के लिए तैयार हो गए। नरू-बिजुला ने नदी में लकड़ी से बना पुल काट दिया और फिर ऊंची पहाड़ी पर स्थित सिल्याण गांव पहुंच गए। वहां दोनों। भाइयों ने पत्थरों का ढेर जमा कर लिया अब दोनों युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार हो गए थे।सुबह होते ही युद्ध शुरू हो गया एक तरफ से नरू बिजुला और दूसरी तरफ रवांई के 12 गांवों की सेना। दोनों भाइयों ने अपने गांव और ओर पत्त्नी के लिए अपनी जिम्मेदारी दिखाई और अपनी साहस और अपने राजनीति से यह जंग जीत ली। दुश्मन युद्ध छोड़ कर भाग निकले और अपने साथ कीमती सामान ले गए। यह सब खत्म होने के बाद नारू बिजुला ने उस लड़की से शादी की और अपना खुशहाल जीवन बिताया। उसके बाद दोनों गांवों ने दुश्मनी भूल कर लेन-देन और रिश्तेदारी शुरू कर दी। नारू और बिजुला ने अपना 4 मंजिला घर बनाया और सुखी होकर मजे की जिंदगी बिताई। यह घर अभी भी तिलौथ गांव में स्थित है जिसमें 8 हॉल और छोटे छोटे कमरे देखे जाते हैं।
नरू-बिजुला की अद्भुत प्रेम कहानी

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