पिथौरागढ़ में जड़ी-बूटी संरक्षण: पिथौरागढ़ के हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाने वाली दुर्लभ जड़ी-बूटियों के संरक्षण के लिए एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है।
गौरतलब है कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में अवैज्ञानिक दोहन, वनाग्नि औऱ अन्य कारणों से जड़ी बूटियां के साथ ही औषधीय प्रजातियां नष्ट होती जा रही हैं। जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण शोध एवं सतत विकास संस्थान कोसी कटारमल (अल्मोड़ा) के विज्ञानियों ने पांच साल पहले जड़ी बूटी संरक्षण को अहम कदम बढ़ाए। हिमालयी निचली घाटियों पर शोध कर संभवानाएं तलाश की थी। आबोहवा, मिट्टी आदि माकूल मिली। रिसर्च में पता लगा कि स्थानीय बाशिंदे दैनिक जीवन में परंपरागत रूप से जड़ी बूटियों का उपयोग तो करते हैं, लेकिन सरकारी प्रोत्साहन और तकनीक न मिलने से व्यावसायिक खेती नहीं करते।