एक दिन सुबह-सुबह अचानक से मेरे घर सबका मन हुआ हरिद्वार आने का तो फिर सब तैयार होकर जरूरत का सामान लेकर निकल पड़े हरिद्वार के लिए। मैं तो बहुत खुश थी क्योंकि मुझे तो बहुत पसंद है हरिद्वार जाना । जहाँ से पावन गंगा पर्वतो को छोड़ धरती पर आती है। मैं हरिद्वार तो आती जाती रहती हूं लेकिन मैं आखरी बार 4 अगस्त 2024 में गई थी। वैसे मै जब भी हरिद्वार जाती हूं तब मेरा दिल वही का हो जाता है। वापस आने का बिल्कुल मन नहीं करता। हरिद्वार जाते समय मुझे पहले ही भगवान भोलेनाथ के दर्शन हो जाते है उनकी एक विशाल मूर्ति वहां स्थित है जो बताती है कि आप हरिद्वार पहुंच गए हो। जब हरिद्वार पहुंच जाती हूं तो वहां की पवित्र सुगंध मन को खुश कर देरी थी। वहां हर तरफ से मां गंगा के जयकारे और भोलेनाथ के जयकारे सुनाई देते थे। वहां हजारों की संख्या में लोग थे सब अलग अलग अपने कार्य कर रहे थे। बहुत सारे लोग भगवान में लीन थे। वहां ऐसा जादू है जो एक बार चला गया वो फिर बार बार आता है और अपने मन को शांत करता है। मैं जब वहां गई तो सबसे पहले मां गंगा में स्नान किया। मां गंगा में जाने के बाद बाहर निकलने का मन नहीं था क्योंकि उनका जल बहुत ही शीतल होता है और पवित्र होता है। उसके बाद वहां की गलियों में गई थी जहां बहुत ही सुंदर सुंदर दुकानें हैं जिसमें धार्मिक वस्तुएं और पुस्तके मिलती है। वहां की गलियों में भी बहुत अच्छा लगता है रंग बिरंगे दुकानें दिखती हैं जहां से मैं बहुत से सामान लाई हुं जो मुझे लेने होते थे। वहां की गलियों में खाने की दुखने भी बहुत है जिसकी सुगंध से पूरी हरिद्वार की गलियां खाने की सुगंध से सुगंधित हो जाती है। वहां की एक बहुत मशहूर दुकान पर मैने खाना खाया , जहां सब्जी पूरी बहुत स्वाद वाली होती है वहां पूरियां किलो के हिसाब से देते है इसी वजह से वो दुकान बहुत मशहूर हैं। खाने के बाद में माता मंसा देवी के दर्शन करने के लिए गई थी। माता मंसा देवी की चढ़ाई 800 मीटर की है। यह चढ़ाई बहुत मुश्किल है तो चढ़ाई मैं पैदल गई थी। मुझे खुशी होती है चढ़ाई पे चढ़ कर माता के दर्शन के लिए जाना। वहां से नीचे देखो तो बहुत सुंदर दृश्य दिखाई देता है। माता मंसा देवी से 3 किलोमीटर दूर माता चंडी देवी का मंदिर पड़ता है। माता चंडी देवी मैं आज तक नहीं गई लेकिन में अब जाऊंगी हरिद्वार तो माता चंडी देवी के दर्शन करने जरूर जाऊंगी। वहां हर की पैडी पर लोग बच्चों का मुंडन कराने और कोई भी पूजा पाठ कराने आये थे। मैं भी एक बार अपनी भतीजी के मुंडन के लिए यही आई थी। घर आते हुए वहां का प्रसाद और एक बोतल में गंगा जल साथ ले आती हुं जो बहुत काम आता है। तो ये थी मेरी अभी तक की देखी हुई महसूस की हुई हरिद्वार की दिल छू लेने वाली यात्रा। जो मैंने आपको अपनी यात्रा के बारे में बताया आशा है की आपको भी यह पावन यात्रा पसंद आई होगी।
।।हर हर महादेव।।