देश के लिए जान न्यौछावर करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र की मौत अब तक रहस्य, देखिए विशेष रिपोर्ट-

देहरादून: “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा” आजादी के दीवानों में जोश भरने वाला यह नारा भारत मां के लाल सुभाष चंद्र बोस ने दिया था। जब भारत की आजादी का जिक्र किया जाता है तो सुभाष चंद्र बोस को जरूर याद किया जाता है इसकी वजह यह है कि उन्होंने अपने जीवन का एक-एक क्षण भारत मां के नाम कर दिया। अपना सारा जीवन आजादी के लिए लगाने वाले सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) की मौत रहस्यमय तरीके से हुई। उनसे जुड़ी कई ऐसी अनसुने बातें हैं जो शायद आप नहीं जानते होंगे। आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

Biography of Subhash Chandra Bose

आज सारा देश नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती मना रहा है ।नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। देश की आजादी की लड़ाई के इतिहास में सुभाष चंद्र बोस का नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। महज़ 24 साल की उम्र में वे कांग्रेस से जुड़े। इसके बाद उन्होंने भारत की आज़ादी में बहुत बड़ा योगदान दिया। उन्होंने जापान में आजाद हिंद सेना का गठन किया इसमें युवाओं ने हजारों की संख्या में भाग लिया और नेता जी के नेतृत्व में अंग्रेजों से लोहा लिया। नेताजी की हर बात युवाओं के लिए प्रेरणादायक होती थी।

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देश की स्वतंत्रता से 2 साल पहले एक ऐसा हादसा हुआ जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी । 18 अगस्त 1945 को जापान के तोहोकू एयरपोर्ट पर एक विमान दुर्घटना हुई जिसमें सुभाष चंद्र बोस की मौत की खबर सामने आई। हालांकि कई लोगों का मानना था कि नेताजी अभी जिंदा है और उन्हें गुमनामी की जिंदगी जीनी पड़ रही है। वहीं कई जाँच कमेटी और आयोग, स्वतंत्र जाँचकर्ता और कई देशों के जाँच अधिकारी सुभाष चंद्र बोस की मौत की पुष्टि कर चुके हैं। लेकिन नेताजी के समर्थक यह मानने को तैयार नहीं हैं कि नेताजी की मौत हो चुकी है। फ़ैज़ाबाद के गुमनामी बाबा के बारे में भी यह किवदंती प्रचलित थी कि दरअसल वह नेताजी ही थे और भेष बदलकर रह रहे थे। गुमनामी बाबा के निधन के बाद उनके पास से कई ऐसी तसवीरें बरामद हुईं जिनके आधार पर कुछ लोग यह दावा करते नहीं थकते कि वह नेताजी ही थे। बात बढ़ी तो इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस विष्णु सहाय की अध्यक्षता में एक जाँच आयोग का गठन किया गया कि वह जाँच करे कि गुमनामी बाबा सुभाष चंद्र बोस थे या नहीं।

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नेताजी की मौत हमेशा से ही रहस्य के घेरे में बनी हुई है। कुछ लोग यह पूछते हैं कि अगर वह ज़िंदा होते तो उन्हें भेष बदलकर या कहीं छुपकर रहने की क्या ज़रूरत थी, वह ज़रूर जनता के सामने आते। लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जो यह मानते हैं कि किसी बेहद ज़रूरी कारण की वजह से सुभाष चंद्र बोस सामने नहीं आए।

अब तक नेताजी की मौत के बारे में भारत सरकार द्वारा बनाई गई शाहनवाज़ कमेटी, जस्टिस जी. डी. खोसला आयोग के साथ-साथ ब्रिटेन की सेना, जापान सरकार और द्वितीय विश्व युद्ध के समय की एलाइड फ़ौज जाँच कर चुके हैं। ये सभी इस नतीजे पर पहुँचे हैं कि 18 अगस्त 1945 को उनकी मौत हो गई थी।


नेताजी सुभाष चंद्र के योगदान को देश कभी नहीं भुला सकता है। आपको जानकर हैरानी होगी अगर हम कहेंगे नेताजी सुभाष चंद्र बोस का एक मंदिर है जहां में पूजे जाते हैं। जी हाँ, यूपी के वाराणसी (Varanasi) के लमही में सुभाष चंद्र बोस का मंदिर है इसमें उनकी आराधना होती है। वहीं आज नेताजी की 125 वी जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया गेट पर ग्रेनाइट की मूर्ति का अनावरण किया।

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