देहरादून. कुछ वक्त पहले तक उपेक्षित रहने वाला मंडुआ अब हाथों हाथ बिक रहा है। राज्य सरकार ने ही इस साल क़ई सहकारी और किसान संघों के जरिए उत्तराखंड के किसानों से 3100 मीट्रिक टन से ज्यादा मंडुआ खरीदा है। सरकार ने इस साल किसानों को मंडुआ पर 4200 प्रति क्विंटल का समर्थन मूल्य भी दिया है। उत्तराखंड के सीढ़ीदार खेतों में पुराने रूप से मंडुआ की खेती होती रही है लेकिन कुछ सालों पहले तक मंडुआ फसल उपेक्षा का शिकार रहती थी, जिस कारण किसानों का भी मंडुआ उत्पादन के प्रति मोह भंग होने लगा था लेकिन केंद्र और उत्तराखंड सरकार द्वारा अब मिलेट्स फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिस कारण उत्तराखंड में मंडुआ उत्पादक क्षेत्र के साथ -साथ उत्पादन भी बढ़ रहा है। वर्तमान सरकार ने मंडुआ उत्पादक किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए सबसे पहले 2022 इसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत के तहत, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से खरीदना शुरू किया। वहीं उपभोक्ताओं तक मिलेट्स उत्पाद पहुंचाने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली से लेकर मिड डे मील और आंगनबाड़ी केंद्रों के पोषण कार्यक्रम में इसे सम्मिलित किया गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि प्रदेश में मंडुआ परंपरागत तौर पर उगाया जाता है। यह पौष्टिक होने के साथ ही आर्गेनिक भी होता है। दूसरी और पीएम मोदी द्वारा मिलेट्स उत्पादों को बढ़ावा दिए जाने के बाद भी मंडुआ की मांग बढ़ी है। इसलिए राज्य सरकार सीधे किसानों से मंडुआ खरीद करते हुए, उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है, जिसके बेहतरीन नतीजे सामने आने लगे हैं। राज्य सरकार ने स्टेट मिलेट मिशन शुरू करते हुए, उत्पादन बढ़ाने के साथ ही, मिलेट्स उत्पादों को अपनाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार प्रसार, किसानों से खरीद से लेकर भंडारण तक की मजबूत सिस्टम तैयार की। वहीं किसानों को बीज, खाद पर अस्सी फीसद तक सब्सिडी दी गई।
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270 केद्रों के जरिए मिलेट्स की खरीदारी
सरकार ने दूर दराज के किसानों से मंडुआ खरीदने के लिए बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों के सहयोग से जगह – जगह संग्रह केंद्र बनाए हैं । इस प्रयोग की कामयाबी की कहानी यूं बयां की जा सकती है कि 2020-21 में जहां इन केंद्रों की कुल संख्या 23 थी जो 2024-25 में बढ़कर 270 हो गई है। इन केद्रों के जरिए इस वर्ष उत्तराखंड के किसानों से 3100.17 मीट्रिक टन, मंडुआ की खरीद की गई, इसके लिए कृषकों को 42.46 प्रति किलो की दर से समर्थन मूल्य दिया गया। सरकार ने मंडुआ खरीद में सहयोग देने के लिए किसान संघों को 150 रुपए प्रति कुंतल और बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों को प्रति केंद्र 50 हजार रुपए देकर प्रोत्साहित भी किया गया और सुनिश्चित किया गया कि केंद्रों का भुगतान 72 घंटे में कर दिया जाए।