केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में आशा नौटियाल को मैदान में उतारेगी भाजपा, क्या है पॉलिटिकल बैकग्राउंड

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देहरादून. केदारनाथ विधानसभा सीट उपचुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों की घोषणा हो चुकी है. कांग्रेस ने मनोज रावत को जिम्मेदारी दी है जबकि भाजपा आशा नौटियाल को मैदान में उतारेगी.

2002 में पहली बार बनीं विधायक आशा नौटियाल:

भारतीय जनता पार्टी में अपने बढ़ते कद से उत्साहित आशा नौटियाल ने क्षेत्रीय जनता में उन्होंने अपनी और मजबूत पकड़ बना ली. इसका नतीजा यह हुआ कि 2002 में जब उत्तराखंड में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए, तो भाजपा ने आशा नौटियाल को केदारनाथ विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी बना दिया था. आशा नौटियाल ने भी अपनी पार्टी भाजपा को निराश नहीं किया. खास बात यह है कि दिवंगत शैलारानी रावत तब कांग्रेस की नेता हुआ करती थीं. आशा नौटियाल ने शैलारानी रावत को हराकर केदारनाथ विधानसभा सीट की पहली महिला विधायक बनी.

2007 में भी आशा नौटियाल ने की जीत दर्ज:

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2007 में जब उत्तराखंड विधानसभा के दूसरे चुनाव हुए, तो तब भी भाजपा ने आशा नौटियाल पर ही विश्वास बनाए रखा. आशा नौटियाल ने भी इस बार भी पार्टी को निराश नहीं किया. वहीं इस दफा कांग्रेस ने शैलारानी रावत की जगह कुंवर सिंह नेगी को टिकट दिया लेकिन आशा नौटियाल ने कुंवर सिंह नेगी को भी हरा दिया.

2012 में आशा नौटियाल को मिली थी हार

2002 और 2007 में लगातार दो बार विधानसभा चुनाव जीतने वाली आशा नौटियाल को साल 2012 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया. लेकिन इस बार आशा नौटियाल हैट्रिक बनाने से चूक गई थीं. इस बार कांग्रेस ने शैलारानी रावत को टिकट दिया, जिन्होंने आशा नौटियाल को हराकर 2002 विधानसभा चुनाव की हार का बदला ले लिया.

कांग्रेस की बगावत से आशा नौटियाल को झेलना पड़ा नुकसान:

2012 में हुए चुनाव के बाद उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार आई. विजय बहुगुणा को कांग्रेस ने हरीश रावत पर तवज्जो देकर मुख्यमंत्री बनाया. जून 2013 में केदारनाथ में आपदा आई. इस भीषण आपदा में विजय बहुगुणा सरकार पर आपदा से निपटने में विफल होने के आरोप लगाए गए. विजय बहुगुणा के विरोधी हरीश रावत ने देहरादून से लेकर दिल्ली तक इतना हल्ला मचाया कि कांग्रेस आलाकमान को मजबूर होकर सीएम बदलना पड़ा और हरीश रावत सीएम बनाए गए लेकिन विजय बहुगुणा वाला गुट इस बदलाव को भूल नहीं सका. इससे सतपाल महाराज तो तत्काल पार्टी छोड़ गए. मई 2016 में कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों ने भी बगावत कर दी और कांग्रेस छोड़ 9 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे. इन 9 विधायकों में शैलारानी रावत भी शामिल थीं.

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2017 में टिकट न मिलने पर निर्दलीय लड़ीं थी आशा नौटियाल :

2017 के विधानसभा चुनाव हुए तो भाजपा ने शैलारानी रावत को केदारनाथ विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी बना दिया. इससे नाराज होकर आशा नौटियाल ने बगावत कर दी. आशा ने निर्दलीय चुनाव लड़ा. इससे कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत चुनाव जीत गए. आशा नौटियाल तीसरे स्थान पर रहीं.

आशा नौटियाल ने बीजेपी में की वापसी:

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2017 के विधानसभा चुनाव परिणामों के कुछ समय बाद आशा नौटियाल ने बीजेपी में वापसी की. 2022 में उत्तराखंड विधानसभा के 5वें चुनाव हुए तो बीजेपी ने एक बार फिर शैलारानी रावत को अपना प्रत्याशी बनाया. शैला चुनाव जीत गईं. आशा नौटियाल को उत्तराखंड बीजेपी महिला मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया.

2024 केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में हैं बीजेपी प्रत्याशीः

शैलारानी रावत के निधन के बाद केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है. 20 नवंबर को केदारनाथ उपचुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे. बीजेपी ने तमाम कयासों और भविष्यवाणियों के इतर आशा नौटियाल को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है.

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